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डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) टेक्नोलॉजी


D2M टेक्नोलॉजी क्या है?

डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) टेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है जो मल्टीमीडिया सामग्री जैसे लाइव टीवी, समाचार और मनोरंजन को स्मार्टफोन पर बिना इंटरनेट कनेक्शन के सीधा पहुंचाने की सुविधा प्रदान करती है। यह पारंपरिक प्रसारण (जैसे FM रेडियो या DTH) और मोबाइल तकनीक को मिलाकर एक नई तकनीक प्रस्तुत करती है।


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D2M टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है?

D2M तकनीक विशेष फ्रिक्वेंसी बैंड्स पर सामग्री को प्रसारित करने के लिए स्थलीय दूरसंचार बुनियादी ढांचे का उपयोग करती है।


1. सामग्री का प्रसारण:

मीडिया सामग्री को स्थलीय प्रसारण प्रणाली के माध्यम से भेजा जाता है।

भारत में, सरकार ने D2M सेवाओं के लिए 470-582 MHz स्पेक्ट्रम बैंड आवंटित करने का प्रस्ताव दिया है। यह फ्रिक्वेंसी व्यापक क्षेत्र को कवर करने के लिए उपयुक्त है।


2. सामग्री का ग्रहण:

जो स्मार्टफोन इस तकनीक के अनुकूल हैं, वे सीधे इन प्रसारणों को पकड़ सकते हैं और उपयोगकर्ता लाइव टीवी या वीडियो सामग्री का उपयोग बिना मोबाइल डेटा खर्च किए कर सकते हैं।

यह पारंपरिक इंटरनेट-आधारित स्ट्रीमिंग को दरकिनार कर नेटवर्क पर निर्भरता कम करता है।


D2M टेक्नोलॉजी के फायदे


1. नेटवर्क दक्षता:

D2M वीडियो स्ट्रीमिंग ट्रैफिक को मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क से हटा देता है, जिससे 4G और 5G नेटवर्क का दबाव कम हो जाता है।

Bइससे बेहतर स्पीड, कम बफरिंग और इंटरनेट-आधारित सेवाओं की विश्वसनीयता बढ़ती है।


2. सुगम पहुंच:

D2M तकनीक उन क्षेत्रों तक पहुंच सकती है. जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब है या नहीं है।यह "टीवी डार्क" क्षेत्रों में लोगों को सामग्री उपलब्ध कराने में मददगार है।


3. आपातकालीन सेवाएं:

प्राकृतिक आपदाओं या आपात स्थितियों के दौरान, D2M नेटवर्क पर निर्भर हुए बिना मोबाइल उपयोगकर्ताओं को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है।

4. लागत प्रभावी:

उपयोगकर्ताओं के लिए, वीडियो सामग्री देखने पर डेटा खर्च नहीं होता।

प्रसारकों को भी बड़ी ऑडियंस तक पहुंचने के लिए इंटरनेट-आधारित प्रसारण पर खर्च नहीं करना पड़ता।


D2M को लागू करने की चुनौतियां

1. डिवाइस संगतता:

वर्तमान में अधिकांश स्मार्टफोन में D2M प्रसारण प्राप्त करने के लिए आवश्यक हार्डवेयर (जैसे विशेष चिपसेट या ट्यूनर) नहीं है।

D2M की लॉन्चिंग के बाद D2M सपोर्ट वाले नए फोन भी लॉन्च होंगे। D2M सपोर्ट के लिए सभी मोबाइल ब्रांड्स को अपने फोन में एक D2M एंटीना देना होगा जो कि डीटीएच के सेटअप बॉक्स की तरह काम करेगा। यह भी संभव है कि इसे 5जी की तरह किसी सॉफ्टवेयर से एक्टिव किया जा सके।

इस तकनीक को जोड़ने से उत्पादन लागत बढ़ सकती है और डिवाइस डिजाइन प्रभावित हो सकता है।


2. इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास:

एक मजबूत D2M नेटवर्क स्थापित करने के लिए स्थलीय प्रसारण ढांचे में भारी निवेश की आवश्यकता है।

व्यापक और विश्वसनीय कवरेज सुनिश्चित करना जरूरी है।


3. स्पेक्ट्रम आवंटन:

सरकारों और नियामक निकायों को D2M के लिए उपयुक्त फ्रिक्वेंसी बैंड आवंटित करना होगा, जो टेलीकॉम सेवाओं जैसे मौजूदा उपयोगों के साथ संतुलित हो।


4. उपभोक्ता जागरूकता:

जनता को D2M के लाभों और उपयोग के बारे में शिक्षित करना इसके अपनाने के लिए आवश्यक है।


D2M में वैश्विक प्रगति

भारत:

भारत सरकार IIT कानपुर और Saankhya Labs जैसी कंपनियों के साथ मिलकर D2M की व्यवहार्यता का परीक्षण कर रही है।

470-582 MHz बैंड को इस तकनीक के लिए उपयुक्त माना गया है और कई शहरों में परीक्षण किए जाने की योजना है।


अन्य देश:

दक्षिण कोरिया और अमेरिका सहित अन्य देशों में भी प्रसारकों और टेलीकॉम ऑपरेटरों द्वारा D2M का परीक्षण किया जा रहा है।


D2M का भविष्य

1. मीडिया खपत में क्रांति:

D2M समाचार, मनोरंजन और शिक्षा सामग्री तक पहुंच को और अधिक समावेशी और सुलभ बना सकता है।


2. स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में मदद:

D2M का उपयोग स्मार्ट सिटी पहल में वास्तविक समय की जानकारी पहुंचाने के लिए किया जा सकता है।


3. हाइब्रिड मॉडल:

भविष्य के स्मार्टफोन D2M तकनीक को इंटरनेट-आधारित स्ट्रीमिंग सेवाओं के साथ जोड़ सकते हैं।


4. विज्ञापन के अवसर:

D2M प्रसारकों को स्थानीय और व्यक्तिगत विज्ञापनों के माध्यम से नए राजस्व स्रोत प्रदान कर सकता है।


निष्कर्ष

डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) तकनीक एक क्रांतिकारी अवधारणा है जो मीडिया और जानकारी वितरण में बदलाव ला सकती है। यह मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर निर्भरता कम करके और पहुंच को बढ़ाकर कनेक्टिविटी की चुनौतियों का समाधान प्रदान करती है। हालांकि इसे लागू करने के लिए तकनीकी और बुनियादी ढांचे से संबंधित बाधाओं को दूर करना होगा, लेकिन इसके लाभ इसे डिजिटल संचार और मनोरंजन के भविष्य के लिए एक आशाजनक समाधान बनाते हैं।

 
 
 

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