GPS के अलावा अन्य लोकेशन ट्रैकिंग तकनीकें
- cs gujral
- Dec 19, 2024
- 2 min read
GPS एक बहुत ही प्रभावी तकनीक है, लेकिन यह हमेशा उपलब्ध नहीं होती है। विशेषकर इंडोर स्थानों या कमजोर सिग्नल वाले क्षेत्रों में। ऐसे में, अन्य तकनीकों का उपयोग किया जाता है:
1. Wi-Fi ट्रैकिंग:
* Wi-Fi नेटवर्क का उपयोग: आपके डिवाइस में Wi-Fi चालू होने पर, यह आस-पास के Wi-Fi नेटवर्कों का पता लगाता है।
* नेटवर्क का डेटाबेस: डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक विशाल डेटाबेस होता है जिसमें लाखों Wi-Fi नेटवर्क की लोकेशन होती है।
* लोकेशन का अनुमान: आपके डिवाइस में कनेक्टेड Wi-Fi नेटवर्कों की पहचान करके, सिस्टम आपके डिवाइस की अनुमानित लोकेशन का पता लगाता है।

2. सेल्युलर ट्रैकिंग:
* सेल टावर का उपयोग: आपके मोबाइल फोन सेल टावरों से सिग्नल का आदान-प्रदान करता है।
* ट्राइऐंगुलेशन: तीन या अधिक सेल टावरों से प्राप्त सिग्नल की ताकत के आधार पर, आपकी लोकेशन का अनुमान लगाया जाता है।

3. ब्लूटूथ बीकन:
* छोटी दूरी की ट्रैकिंग: ब्लूटूथ बीकन छोटे डिवाइस होते हैं जो ब्लूटूथ सिग्नल का उपयोग करके अपने आस-पास के डिवाइसेस को संदेश भेजते हैं।
* इंडोर नेविगेशन: शॉपिंग मॉल, एयरपोर्ट, और अन्य इंडोर स्थानों पर इनका उपयोग करके, आपकी लोकेशन का पता लगाया जाता है।

4. जीओमैग्नेटिक फील्ड सेंसिंग:
* पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग: आपके डिवाइस में एक मैग्नेटोमीटर होता है जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को मापता है।
* अद्वितीय चुंबकीय फिंगरप्रिंट: प्रत्येक स्थान का अपना अद्वितीय चुंबकीय फिंगरप्रिंट होता है।
* लोकेशन का अनुमान: डिवाइस के मैग्नेटोमीटर द्वारा मापे गए चुंबकीय क्षेत्र की तुलना डेटाबेस में मौजूद फिंगरप्रिंट्स से करके, आपकी लोकेशन का अनुमान लगाया जाता है।
इन तकनीकों का संयोजन करके, अधिक सटीक और विश्वसनीय लोकेशन ट्रैकिंग संभव हो जाती है, विशेषकर उन जगहों पर जहां GPS सिग्नल कमजोर होता है या उपलब्ध नहीं होता है।



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